वॉट्सएप नहीं, संसद से जानिए कि सात साल में केंद्र सरकार ने कुल कितने एम्स बनाएं हैं?

कोरोना की दूसरी लहर ने कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने की सारे सरकारी इंतजामों की कलई खोल दी है. केंद्र सरकार का दावा 18 लाख से ज्यादा कोविड बेड बनाने का था, लेकिन असलियत में लोग कहीं पर ऑक्सीजन के बगैर तड़पकर तो कहीं अस्पताल खोजते हुए दुनिया को अलविदा कह गए. इस बदइंतजामी पर देश में कम, विदेश की मीडिया में ज्यादा हल्ला मचा. सवाल उठे तो सरकार की छवि बनाने के लिए वॉट्सएप पर मैसेज तैरने लगे. ऐसे ही मैसेज में मौजूदा केंद्र सरकार के समय 14 से लेकर 22 एम्स बनवाने के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत मंजूरी पाने वाले एम्स की असलियत कुछ और है, जो संसद में सरकार के आंकड़े बयां कर रहे हैं.

संसद के बजट सत्र में सांसद भगवत कराड़ ने सरकार से देश में निर्माणाधीन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की संख्या, काम शुरू करने की तारीख, मौजूदा स्थिति और इनका काम पूरा करने की प्रस्तावित समयावधि के बारे में जानकारी मांगी थी. इन सवालों का केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने दिया। उन्होंने बताया, ‘प्रधानंमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) के तहत 22 नए एम्स को मंजूरी दी गई है, जिनमें छह भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश में पहले से ही चालू हो चुके हैं।’

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केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बाकी 16 एम्स को चालू करने की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी थी. इसमें गौर करने वाली बात है कि साल 2015 में मंजूरी पाने वाले एम्स छह साल बीतने के बावजूद पूरी तरह से चालू नहीं हो पाए. वहीं, 2016 और 2017 में मंजूरी पाने वाले एम्स में अधिकतम 80 फीसदी काम ही पूरा हो पाया है.  इसके बाद मंजूरी पाने वाले एम्स के चालू हो जाने की उम्मीद ही बेमतलब है. (देखें चित्र- 1, 2, 3)

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